आर्य समाज के सिद्धांतों को प्राणपन से जीने वाले,महात्मा आनंद स्वामी जी के 139 वें जन्म दिवस के उपलक्ष्य में आज विद्यालय प्रांगण में हवन का आयोजन किया गया, प्रधानाचार्या श्रीमती रश्मिराज बिस्वास जी के यज्ञमानत्व में अध्यापक, अध्यापिकाओ के सहित कक्षा सातवीं के विद्यार्थियों की उपस्थिति में वेदमंत्रों की दिव्यता से युक्त होकर आहुति प्रदान. की गई, यज्ञ के बाद अपने उद्बोधन में प्रधानाचार्या जी ने सम्बोधित करते हुए कहा कि यज्ञ की दिव्यता हमारे वातावरण को ही पवित्र नहीं करती अपितु हमारे विचारों को भी पवित्रता प्रदान करती है यह ऋषियों द्वारा जीवन जीने की एक श्रेष्ठ प्रविधि है, जो हमें सदैव अच्छा करने की प्रेरणा देती है महात्मा आनंद स्वामी जी के जीवन की चर्चा करते हुए प्रधानाचार्या जी ने कहा कि महात्मा जी का जीवन आदर्श है उनका जीवन प्रत्येक क्षण श्रेष्ठ करने की प्रेरणा देता रहता है उन्होंने जीवन में जो कार्य किए वे नैतिकता की पराकाष्ठा को जीते हुए दिखाई देते है,उन्होंने गृहस्थ को जीया तो वह भी प्रेरित करने वाला है और सन्यास को जीया तो वह तो आदर्श है ही, लेकिन ये सबकुछ उनके जीवन में होता दिखता है तो उसके पीछे उनका ईश्वर विश्वास ही है, और ईश्वर के प्रति उनमें इतना समर्पण पैदा हुआ तो इसके लिए उनका प्रतिदिन गायत्री जप करना ही था, वे सच्चे गायत्री साधक थे, प्रधानाचार्या जी ने कहा कि मैं महात्मा जी से प्रेरित होकर. प्रतिदिन गायत्री जप करती हूं और आप सभी से अपेक्षा करती हूं कि आप भी सभी कम से कम 11 बार प्रतिदिन गायत्री जप करें और महात्मा जी की पुस्तकों का स्वाध्याय करें।अंत में शांति पाठ के बाद कार्यक्रम समाप्त हुआ