26 अगस्त का दिन डी. ए.वी. आंदोलन और डी.ए. वी पुष्पांजलि के लिए एक स्मरणीय दिन था,क्योंकि इसी दिन 75 वर्ष पूर्व 26अगस्त 1948 में श्री दरबारी लाल जी डी ए वी संस्था से जुड़े थे, इसी उपलक्ष्य में प्रधानाचार्या श्रीमती रश्मिराज बिस्वाल जी के निर्देश पर" श्रद्धेय श्री दरबारी लाल जी, डी ए वी आंदोलन और आर्य समाज के विराट व्यक्तित्व, सादर स्मरणाञ्जलि कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसके मुख्यातिथि श्री राकेश खुल्लर जी, श्रीमती स्नेह वर्मा मैंम, श्रीमती कुसुम भारद्वाज मैंम प्रधानाचार्या श्रीमती रश्मिराज बिस्वाल मैंम के कार्यक्रम स्थल पर आगमन से हुआ l कार्यक्रम डी ए वी गान और दीप प्रज्ज्वलन से हुआ प्रधानाचार्या जी ने मुख्यातिथियों का पौधे भेंट करके स्वागत किया, प्रधानाचार्या जी ने बाबू दरबारी लाल जी के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा कि बाबू दरबारी लाल जी का कार्य बहुत ही उल्लेखनीय है,वे डी ए वी के भगीरथ है,उन्होंने विभिन्न स्थानों पर बहुतायत में डी ए वी संस्थाएं खोलकर ऐसा कार्य किया जिसको बहुत समय तक भुलाया नहीं जा सकता, उनके द्वारा स्थापित डी ए वी संस्थाओं में पढ़ने वाले छात्र छात्राएं आज भी उनके कार्यों से यश प्राप्त कर रहे है, हम सौभाग्य शाली है कि हम उनके दिव्य जीवन और कार्यों के परिणाम स्वरूप उनके प्राणपन से सिंचित संस्था में,अध्यापन कर पा रहे है, मैं उनके विशाल व्यक्तित्व को नमन करती हूं और सभी से आग्रह करती हूं कि वे उनके सामाजिक सरोकारों को समझें और उनसे प्रेरित हो, मुख्यातिथि श्री राकेश खुल्लर जी ने बाबू जी के सम्मान में आयोजित कार्यक्रम के प्रति प्रधानाचार्या जी का आभार व्यक्त करते हुआ कहा कि बाबू जी का व्यक्तित्व था ही विलक्षण, वे जीवन के प्रत्येक क्षण डी ए वी की उन्नति, प्रगति की योजना में लगे रहते थे, डी ए वी उनके लिए जूनून सा था,उन्होंने शिक्षा के व्यवस्थितकरण के लिए डी ए वी बोर्ड की स्थापना की,डी ए वी के लिए उन्होंने अपने स्वास्थ्य पर भी ध्यान नहीं दिया,आदरणीय राकेश जी ने बताया कि -उन्होंने आर्य समाज के सामाजिक कार्यों को भी डी ए वी के माध्यम से प्रभावी किया,डी ए वी में प्रौढ शिक्षा, कौशल प्रशिक्षण केंद्र, वैदिकता से सँस्कारित करने के लिए विद्यालयों में यज्ञ, यज्ञशाला आदि कार्यों को बढ़ चढ़ कर क्रियान्वित कराया,आर्य समाज के सम्मलेन करके जागृति का वातावरण बनाया,निश्चित ही डी ए वी के लिए किया गया उनका योगदान स्वर्णाक्षरों में लिखित है,
तदुपरान्त डी ए वी पुष्पांजलि की पूर्व,संस्थापक प्रधानाचार्या श्रीमती स्नेह वर्मा जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि बाबू जी को स्मरण करते हुए उन्हें विलक्षण व्यक्तित्व का धनी बताया, वे डी ए वी के,कार्यों के प्रति हर समय ऊर्जावान रहते थे, आलस्य तो उनके व्यवहार में दूर दूर तक दिखाई देता ही नहीं था,उनके डी ए वी के विस्तार से लाखों बच्चों का भविष्य संवर रहा है, शिक्षा से दीक्षित हो रहे है, बहुत से अध्यापक- अध्यापिकाएं और स्वयं मैं भी उनके सदप्रयासों से शिक्षण कार्यों से जुडी ,श्रीमती स्नेह वर्मा मैंम ने कहा कि आज का समाज एकांगी व्यवहार करता है लेकिन बाबू जी सभी के प्रति सहयोग का भाव रखते थे,उनका जीवन सभी को आगे बढ़ाने में सहयोग की प्रेरणा देता है,
तदुपरान्त डी ए वी अशोक बिहार की प्रधानाचार्या श्रीमती कुसुम भारद्वाज जी ने बाबू जी को याद करते हुए उन्हें शिक्षा का साधक बताया, जिनके योग दान के कारण,आज डी ए वी की 900 के लगभग संस्थाए संचालित हो रही है, वे एक दृष्टि से कर्म पुरुष थे, जो शिक्षा के माध्यम से हमें, और हमारे समाज को बहुत बड़ी धरोहर देकर गए, अंत में प्रधानाचार्या श्रीमती रश्मिराज बिस्वाल जी को सभी ने धन्यवाद दिया, जिनके आयोजन से हम उस महामानव के जीवन को स्मरण कर सके, उनके तप संकल्प को महसूस कर सके, अंत में प्रधानाचार्या जी ने सभी की उपस्थिति के लिए धन्यवाद दिया और मुख्यातिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया